1. माध्यम तय करती है भाषा- पत्रकारिता करते समय आप किस तरह की भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, यह आपकी पत्रकारिता के माध्यम पर निर्भर करता है. जैसे- अगर आप आपका माध्यम रेडियो है तो
आपकी भाषा ज्यादा सरल होनी चाहिए
आप जाने-माने याने प्रचलित शब्दों का प्रयोग करें
आपके वाक्य छोटे-छोटे और चुटीले हों
यहां आपसे अलंकारिक और चमात्कारिक भाषा की उम्मीद नहीं की जाती है. लेकिन अगर आपका माध्यम पत्र है तो आप रेडियो की भाषा की तरह सरल, सुगम और प्रचलित भाषा का प्रयोग नहीं करें, क्योंकि यहां पाठक के पास आपकी बात समझने के लिए पर्याप्त समय होता है.
यहां आप प्रयोग कर सकते हैं.
आप अप्रचलित शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं.
यहां आप जटिल वाक्यों और विश्लेषणों का सहारा ले सकते हैं.
आपकी वर्तनी सही और वाक्य संचरना संतुलित हों.
अगर आपका माध्यम टेलीविजन है तो यहां रेडियो की अपेक्षा आपके सामने खतरा कम है, हां टेलीविजन के परदे पर लिखे जाने वाले पाठ्य की शुद्धता पर ध्यान जरूर रखे.
टेलीविजन के परदे पर का पाठ्य वर्तनी की दृष्टि से सही हों
आपकी की साफ हो
उच्चारण सही हों, मसलन ड़ ड और में फर्क, श, स और ष में फर्क, एकार और ऐकार में अंतर, ओकार और औ-कार में फर्क
टेलीवीजिन माध्यम में चित्र और चलचित्र(विजुल) अधिक अहम हैं. क्योंकि एक चित्र हजार शब्दों के बराबर होते हैं. इसलिए यहां
कम से कम शब्दों से काम चलाया जा सकता है
यहां भी वाक्य छोटे, सरल और संतुलित हों
एकबार फिर, यहां परदे पर दिखने वाले पाठ्य अहम होते हैं इसलिए इनकी वर्तन शुद्ध हों.
आगे बात करेंगे, मीडिया के भाषा रूपों पर.