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Monday, May 24, 2010

समाचार क्या है?

मजाक में किसी ने कहा, अगर कुत्ता आदमी को काटता है तो वो समाचार नहीं है, मगर अगर आदमी कुत्ता को काट ले तो ये समाचार कहलाएगा.
सरल शब्दों में कहें तो जो कुछ नया है, रोमांचक है, आकर्षक है, अलग है, अनुपम है, उत्सुकता बढ़ाने वाला है, चर्चा के योग्य है, वो समाचार है.
मगर, आजकल समाचार के मायने बदल गए हैं. आज के संपादक कहने लगे हैं कि पाठक या दर्शक जो कुछ पढ़ना या देखना चाहता है, वही समाचार है. पाठकों या दर्शकों की रुचि जानने के लिए अखबार या टेलीविजन सर्वेक्षण कराते है, प्रतिक्रिया मंगवाते हैं, फिर दर्शक या पाठक की मर्जी से समाचार परोसते हैं.
फिर, समाचार वही है जिसकी दर्शकों को जरूरत है, जो दर्शक जानना चाहता है, जिसमें उसकी रुचि है.
समाचार की कसौटी-समाचार में इनमें से एक या एक से ज्यादा तत्व होने चाहिए. समाचार को निम्नलिखित तथ्यों की कसौटी पर कसकर देखें कि वो समाचार के लायक है नहीं-
  • प्रभाव- किसी भी समाचार का प्रभाव इस बात से जाना जाता है कि वह कितने व्यक्ति को प्रभावित कर रहा है यानी समाचार का प्रभाव कितने लोगों पर हो रहा है. जितने ज्यादा लोगों पर समाचार प्रभावी है वह उतना बड़ा समाचार है.
  • निकटता- कोई घटना जितनी निकट में घटती है वो उतना ही बड़ा समाचार होता है. बिहार के लोगों के लिए पटना में मुख्यमंत्री क्या बोलते हैं वो ज्यादा बड़ा समाचार है, अमेरिकी राष्ट्रपति के अमेरिका में दिए बयान के मुकाबले.
  • तत्क्षणता- नयापन समाचार की आत्मा होता है. कोई समाचार एक सप्ताह बाद समाचार के लायक नहीं रह जाता है. तुरंत या तत्क्षण घटने वाली घटना बड़ी खबर है. समाचार मछली की तरह होती है, जो ताजा की अच्छी होती है. बासी कोई नहीं पसंद करता है.
  • बड़प्पन- खबर जितने बड़े लोगों की होती है, खबर उतनी बड़ी होती है. अभिषेक बच्चन के बेटे की शादी की खबर बड़ी खबर है. प्रधानमंत्री अगर सबेरे उठकर टहल रहे हों तो भी बड़ी खबर है. लालू की हरेक बयान बड़ी खबर है.
  • नयापन- खबर में नयापन, अनुपमता और रोमांच होना चाहिए यही इसका गुण होता है.
  • संघर्ष- हिंसा, युद्ध, हमला और अपराध अपने आप में बड़ी खबर है.
  • प्रासंगिकता- अगर घटना प्रासंगिक है तो समाचार है वर्ना उसे कौन पूछता है. महात्मा गांधी को हर कोई जानता है. मगर जब जेम्स ओटिस उनके कुछ सामानों की नीलामी करता है तो अखबार समाचारपत्र-टीवी महात्मा गांधी के जीवन दर्शन के बारे में बताने लगते हैं. यहां इस खबर की प्रासंगिकता है.
  • उपयोगिता- उपयोगिता भी समाचार का बड़ा गुण है. हम जो सूचना दे रहे हैं वो लोगों के लिए कितनी उपयोगी है, लोगों का जीवन उससे कितना संवरता है, उनका काम कितना आसान होता है.
  • रूचिपरकता- समाचार रुचिकर होना चाहिए. यह समाचार का सबसे बड़ा गुण है.


Sunday, May 23, 2010

कैसे लिखे समाचार?

  • field-notes
  • शुद्धता

  • स्पष्टता

  • संक्षिप्तता

  • शुद्धता, समाचार की आत्मा होती है यानी आप समाचारलिखते वक्त जो कुछ भी लिखे सही-सही लिखे, शब्द, वाक्य, आंकड़े, नाम आदि-आदि. अगर आप सही लिखतेहैं तो आपका आधा काम हुआ समझिए. अगर आपकी लिखावट शुद्ध और मानक है तभी वहपाठकों का ध्यान आकर्षित करेगी, वर्ना पाठक को आपसे दूर ले जाएगी. वैसे शुद्धता हर तरह कीलिखावट की प्रथम कसौटी है.

    सही, लिखने के साथ-साथ आप स्पष्टता और संक्षिप्तता पर भी ध्यान दें.

    खराब लिखावट बेकार लिखावट है. यह पाठक के विश्वास को खत्म करती है जो कि प्रेस कीस्वतंत्रता के लिए आवश्यक है. प्रेस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इस बात को लेकर है कि वहलोगों को सही और निष्पक्ष जानकारी मुहैया कराती है. सही और निष्पक्ष जानकारी मत निर्धारणके लिए जरूरी है क्योंकि यह सही मत स्वस्थ लोकतंत्र के भविष्य को तय करती है.

    अगर प्रेस की सच्चाई और निष्पक्षता से जनता का भरोसा उठ जाता है तो जल्द ही लोकतंत्र सेभी उसका भरोसा उठ जाएगा. इसलिए समाचार लिखते वक्त नाम, स्पेलिंग, आंकड़े, कथ्य औरतथ्य की शुद्धता पर विशेष ध्यान दें. कुल मिलाकर शुद्धता और सच्चाई को प्राथमिकता दें.

    दूसरी बात है, संक्षिप्तता. लेखन में कोई बात, कोई शब्द ऐसा नहीं हो जिसका वाक्य में कोईमतलब नहीं हो हो. इस वाक्य पर ध्यान दें-

    ने बी के ऊपर मामला दर्ज कराया.

    को अगर हम ऐसा कहें कि-

    ने बी पर मामला दर्ज कराया

    तो इससे वाक्य में संक्षिप्तता की काफी गुंजाइश बचती है. संक्षिप्तता वाक्य स्तर पर हो और न्यूजस्टोरी स्तर पर भी. न्यूज स्टोरी लिखने में उल्टा पिरामिड को ध्यान में रखें. यानी सबसे अहमसबसे ऊपर और सहायक तथ्य सबसे नीचे. ध्यान रहे अहम तथ्य सबसे ज्यादा और सहायक तथ्यसबसे कम हों.

    अब बारी तीसरी बात यानी स्पष्टता की. बात स्पष्ट हो, संपूर्ण हो ताकि पाठक के सभी सवालों केजवाब मिल जाएं. अनाप-शनाप और अनर्गल, कहने का मतलब कि बेमतलब की बात मत करें.

    बात को सामान्य शब्दों में यानी बोलचाल की भाषा में व्यक्त करें ताकि एक सामान्य व्यक्ति भीआपकी बात समझ जाए. आप जितनी बातें सोच सकते हैं उतनी लिख नहीं सकते. लिखना बहुतही मुश्किल है. आप जितना जानते हैं, उतना भी नहीं लिख सकते. कहते हैं कि व्यक्ति के पासजितना बड़ा शब्द भंडार होता है वह उसका महज एक दसवां हिस्सा ही लिख पाता है. यानी आपअपने ज्ञान का महज दस प्रतिशत प्रयोग कर सकते हैं. आप जानते हैं तो अच्छा लिख सकते हैं.

आपका उपसंपादक तय करता है कि कौन सी स्टोरी मुख्य पृष्ठ पर होगी, मगर आप अगर अच्छा लिखतेहैं तो उप-संपादक को सोचना पड़ेगा कि आपकी स्टोरी मुख्य पृष्ट पर क्यों नहीं जाए. आपकी लिखावटउप-संपादक की सोच को प्रभावित करती है. उपसंपादक की सोच पर हावी होने के लिए आपमें वो गुणहोने चाहिए. आपकी लिखावट में दम होनी चाहिए. आप घटना को शुद्ध-शुद्ध, स्पष्ट और संक्षेप में लिखें. मगर घटना के बारे में सबकुछ जाने, तभी आप बेहतर लिख सकते हैं. मतलब आप जितना जानते हैंउसका केवल दस प्रतिशत लिखें.

वाची प्रश्नों के उत्तर (क्या, कब, क्यों, कैसे, कौन, कैसे) आपकी स्टोरी में जरूर होनी चाहिए. जरूरी नहीं है कि प्रथम वाक्य में ही आप सारे प्रश्नों का उत्तर दे दें.